कैसे हो लक्ष्मी का स्थायी वास?

कैसे हो लक्ष्मी का स्थायी वास?

हमारी संस्कृति में लोककथाएं केवल मनोरंजन के लिए नहीं रची जातीं, बल्कि इनके माध्यम से आस्था, बुद्धिमत्ता और व्यवहारिकता का बोध कराया जाता है। यह भी एक ऐसी ही लोककथा है जो हमें बताती है कि लक्ष्मी यानी समृद्धि का स्थायी वास कैसे होता है।

कथा सारांश

एक गांव में एक गरीब लकड़हारा अपने सात निकम्मे बेटों के साथ रहता था। पत्नी की मृत्यु के बाद वह अकेले ही सब कुछ संभालता था। गांव वालों ने सलाह दी कि बेटों की शादी कर दो, बहुएं आएंगी तो लक्ष्मी का वास होगा।

लकड़हारा सबसे बड़े बेटे की शादी कर देता है।
नई बहू बुद्धिमान और कर्मठ निकलती है। वह घर का सारा काम संभाल लेती है और बाकी देवरों से कहती है,

"आज से कोई भी खाली नहीं बैठेगा। जो भी कमाओगे, मुझे दो।"

देवर मेहनत तो करने लगे, पर उनकी कमाई मजाक जैसी थी:

  • कोई चप्पल में गोबर लगा लाया।

  • कोई मरा हुआ सांप लाया।

लेकिन बहू ने सबको हँसते हुए कहा,

"मेहनत की है? तो जो मिला है, संभाल कर रखो।"

कथा में मोड़

इधर रानी का नौलखा हार एक कौआ चुरा लेता है। ऐलान होता है — जो लाकर देगा, मुंहमांगा इनाम मिलेगा।

कुछ दिनों बाद घर की सफाई के दौरान वह हार छत पर पड़ा मिल जाता है और मरा हुआ सांप गायब होता है।
लकड़हारा हार लेकर राजा के पास दौलत मांगने चला, लेकिन बहू ने सलाह दी

"राजा से दौलत मत मांगो। पूरे गांव की रुई, तेल और दीये मांग लो।"

राजा वचन दे चुका था, उसे आदेश देना पड़ा। दीपावली की रात, जब पूरा गांव अंधेरे में था, लकड़हारे का घर रोशनी से जगमगा रहा था

दरिद्री का बहिष्कार

दारिद्री (दरिद्रता की देवी) जो अंधेरे की अभ्यस्त थी, उस रोशनी में टिक नहीं पाई और घर से बाहर भागने लगी
दरवाजे पर बहू बैठी थी। उसने कहा —

"जाना है तो सात पुश्तों के लिए जाओ!"

दारिद्री ने शर्त मान ली और घर से निकल गई।

लक्ष्मी का आगमन

अब अंधेरे में लक्ष्मीजी रास्ता ढूंढती हुई उसी प्रकाशमान घर में आईं।
उन्होंने बहू से कहा —

"पैर में कांटा लग गया है, मुझे जल्दी अंदर आने दो।"

बहू ने विनम्रता से कहा —

"माता, स्वागत है। लेकिन एक विनती है
आना है तो सात पीढ़ियों तक रुकने की शर्त पर आइए।"

लक्ष्मीजी ने यह शर्त स्वीकार कर ली, और उसी रात से वह घर धन-वैभव से भर गया

इस कथा से क्या सीख मिलती है?

यह कथा केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है जो हमें बताता है कि:

1. मेहनत जरूरी है

  • कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता।

  • मेहनत की कमाई चाहे गोबर हो या सांप, उसका सम्मान करें

2. बुद्धि का प्रयोग करें

  • जब अवसर मिले, तो केवल लालच से नहीं, बुद्धिमानी से काम लें

  • बहू ने सीधे धन नहीं मांगा, दीयों की सामग्री मांगी, जिससे अंधकार को हराया

3. प्रकाश यानी सजगता

  • जहां अंधकार होता है, वहां दरिद्रता टिकती है।

  • जहां रोशनी होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है।

4. शर्तों के साथ आमंत्रण

  • लक्ष्मीजी को बुलाना आसान है, बांधकर रखना कठिन

  • बहू ने साहस और विवेक से उन्हें सात पुश्तों तक रोक लिया।

निष्कर्ष

लक्ष्मी का स्थायी वास केवल पूजा, आरती या धन संग्रह से नहीं होता,
बल्कि होता है —
मेहनत से अर्जित धन
बुद्धिमानी से लिया गया निर्णय
प्रकाश और जागरूकता से भरा जीवन

और सबसे बढ़कर,
संयम, सतर्कता और संकल्प से।

लक्ष्मी वहीं रहती हैं जहां पुरुषार्थ और विवेक दोनों साथ हों।