नवगृह और उनकी उच्च नीच राशियां

नवगृह और उनकी उच्च नीच राशियां

जैसा की आप सभी को भली प्रकार से विदित है की एक अच्छा ज्योतिषी बनने के लिए कुछ बेसिक्स की जानकारी परम आवश्यक है। कुछ महत्वपूर्ण बेसिक जानकारी हमने आपके साथ साझा की है और आज हम आपको बताएँगे की किस राशि में कौनसा गृह उच्च स्थिति में आ जाता है या उच्च का कहलाता है और किस राशि में आने पर कौनसा गृह नीच स्थिति में आ जाता है। उच्च राशि में स्थित होने पर कोई भी गृह शुभफल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाता है और इसी प्रकार नीचराशि में स्थित होने पर वही गृह अशुभफल प्रदाय हो जाता है। फिलहाल हम केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे की किस राशि में स्थित होने पर कौनसा गृह उच्च और कौनसा गृह नीच अवस्था को प्राप्त होता है

नवगृह और उनकी उच्च नीच राशियां

मेष राशि

मेष राशि सूर्य देव की उच्च राशि है। यदि यही सूर्य मेष से सातवीं राशि तुला में स्थित हों तो नीच के कहे जाते हैं।

वृष राशि

वृष राशि चंद्र देवता की उच्च राशि  है और वृश्चिक राशि में चन्द्रमा नीच अवस्था को प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही वृष राशि राहु की भी उच्चराशि मानी जाती है और वृश्चिक राशि में राहु नीच के गिने जाते हैं।

मिथुन राशि

मिथुन राशि में राहु को उच्च और धनु में नीच का गिना जाता है।

मिथुन लग्न की कुंडली में राहु

कर्क राशि

कर्क राशि में वृहस्पति उच्च और मकर राशि मं:नीच के कहे गए हैं।

सिंह राशि

सिंह राशि में कोई भी गृह उच्च अथवा नीच नहीं होता।

कन्या राशि

कन्या राशि के स्वामी बुद्ध स्वयं ही कन्या में उच्च के कहे जाते हैं। यही बुद्ध अपनी उच्च राशि से ठीक सातवें राशि मीन में स्थित होने पर नीच के हो जाते हैं।

तुला राशि

तुला राशि शनिदेव की उच्चराशि है। तुलाराशि से आगे गिनती करने पर ठीक सातवीं राशि मेष शनिदेव की नीच राशि होती है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि केतु देवता की उच्च राशि गुनी जाती है और वृषराशि में केतु नीच के गिने जाते हैं।

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धनु राशि

धनु राशि भी केतु देवता की उच्च राशि गिनी जाती है और मिथुन राशि में केतु नीच के गिने जाते हैं।

मकर राशि

मकर राशि मंगल देवता की उच्च राशि है। यदि मकर राशि को पहली राशि मानकर गिना जाए तो कर्क राशि मकर से ठीक सातवीं पड़ती है। कर्कराशि मंगल देवता की नीच राशि कही गयी है।

कुम्भ राशि

कुम्भ राशि में कोई भी ग्रह उच्च अथवा नीच का नहीं गिना जाता।

मीन राशि

मीन राशि में दैत्य गुरु शुक्र अपनी उच्चतम अवस्था में होते हैं, उच्च के गिने जाते हैं। यही शुक्र कन्या राशि में नीच के गिने जाते हैं।

ध्यान देने योग्य है की जो गृह जिस राशि में उच्च का होता है उससे ठीक सातवीं राशि में नीच का गिना जाता है। ऐसा ही नियम नीच राशि स्थग्रहों पर भी लागू होता है। शुरुआत में ध्यान रखें की की जिस राशि में कोई गृह उच्च का हुआ है ठीक उसी राशि से गिनती शुरू करें, जैसे यदि मेष राशि में सूर्य उच्च के हैं तो मेष राशि को पहली राशि माने, वृष को दूसरी और इसी प्रकार से गिनते हुए तुला सातवीं राशि आएगी जो सूर्य की नीच राशि है।

ज्योतिष सम्बन्धी और अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहिये। अगले आर्टिकल से हम विभिन्न लग्न कुण्डियों के शुभ अशुभ एवं समग्रहों के बारे में जानकारी आपसे साझा करेंगे। साथ ही हमारा प्रयास रहेगा की इन शुभ अशुभ ग्रहों के हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बात की जा सके। आपने अपना कीमती वख़्त पर व्यतीत किया। इसके लिए हम आपके बहुत आभारी हैं। अपना स्नेहशीर्वाद बनाये रखियेगा, धन्यवाद।