श्री सांवलिया सेठ मंदिर
                                        
                                
                            भगवान श्री सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मूर्तियां थी। एक बार जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरों को तोड़ रही थी। मेवाड़ राज्य में पंहुचने पर मुग़ल सैनिकों को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा। तब संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर (खुला मैदान) में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोद कर पधरा दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी का देवलोकगमन हो गया।
कैसे पहुंचे
चित्तौड़गढ़ से सांवलिया सेठ में मंदिर मात्र 35 किमी पर दूर है| चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम का आगार (डिपो) है जहा तक राजस्थान के लगभग हर ज़िले से और सीमावर्ती राज्यों जैसे मध्य-प्रदेश, गुजरात, उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सें बसे आती-जाती है|निजी ट्रेवल्स बसें भी राजस्थान और सीमावर्ती राज्यों जैसे मध्य-प्रदेश, गुजरात, उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सें आती-जाती है।
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 मंगला आरती 
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 05:30 से 06:00 
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 राजभोग आरती 
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 10:00 से 11:15 
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 दोपहर शयन समय 
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 12:00 से 02:30 
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 शाम आरती 
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 08:00 से 9 :15 
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 कपाट और दर्शन बंद 
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 11:00 
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