श्री नाथ जी
                                        
                                
                            श्रीनाथ जी की मूर्ति पहले मथुरा के निकट गोकुल में स्थित थी।परंतु जब औरंगजेब ने इसे तोडना चाहा, तो वल्लभ गोस्वामी जी ने इसे राजपूताना (राजस्थान) ले गए। जिस स्थान पर मूर्ति की पुनः स्थापना हुई, उस स्थान को नाथद्वारा कहा जाने लगा।
नाथद्वारा शब्द दो शब्दों को मिलाकर बनता है नाथ+द्वार, जिसमे नाथ का अर्थ भगवान से है। और द्वार का अर्थ चौखट या आम भाषा मे कहा जाए तो गेट से है। तो इस प्रकार नाथद्वारा का अर्थ “भगवान का द्वार हुआ।
कैसे पहुंचे
नाथद्वारा दर्शन व धाम के लिए कैसे पहुंचे। पश्चिम रेलवे की अहमदाबाद दिल्ली लाइन पर मारवाड़ जंक्शन है। मारवाड़ से एक लाइन मावली तक जाती है। मावली से 15 किलोमीटर पहले नाथद्वारा है। नाथद्वारा से 15 किलोमीटर की दूरी पर कांकरोली रेलवे सटेशन है। नाथद्वारा स्टेशन से नगर लगभग 6 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से नगर तक बसे चलती है। उदयपुर से नाथद्वारा की दूरी 48 किलोमीटर है। उदयपुर से बस, टैक्सी द्वारा नाथद्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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 मंगला आरती 
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 05:30 से 06:30 
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 श्रंगार आरती 
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 07:00 से 07:45 
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 ग्वाल आरती 
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 09 :15 से 09 : 30 
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 विला आरती 
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 07:00 से 07:30 
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 राज भोग आरती 
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 11:15 से 12:05 
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 उथापन आरती 
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 03:45 से 04 :00 
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 शाम आरती 
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 05:15 से 06:00 
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 शयन आरती 
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 06:30 
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