इंसान की शक्तियाँ कहाँ छुपी हैं? देवताओं की सभा से निकली एक अद्भुत प्रेरक कथा

इंसान की शक्तियाँ कहाँ छुपी हैं? देवताओं की सभा से निकली एक अद्भुत प्रेरक कथा

एक बार देवताओं की सभा में एक गंभीर विषय पर चर्चा हो रही थी। विषय था – मानव की हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाए, ताकि वह उनका दुरुपयोग न कर सके और केवल सही समय पर ही उन्हें पा सके।

देवताओं में मतभेद शुरू हो गए।

पहले देवता ने सुझाव दिया:

"उन्हें किसी घने जंगल की गुफा में छिपा देते हैं।"

दूसरे देवता ने तुरंत असहमति जताई:

"नहीं! वह तो जंगलों में भटकता रहता है। एक न एक दिन खोज ही निकालेगा।"

तीसरे देवता ने प्रस्ताव रखा:

"उन्हें पर्वत की ऊँचाई पर छिपा दें।"

उत्तर मिला:

"नहीं, इंसान तो पर्वतों को भी फतह कर चुका है। यह उपाय भी स्थायी नहीं होगा।"

चौथा देवता बोला:

"तो फिर क्यों न हम इन शक्तियों को समुद्र की गहराइयों में छिपा दें?"

एक देवता हँसा और बोला:

"समुद्र की गहराइयों में भी वह गोता लगाना सीख चुका है। वहाँ भी खोज लेगा।"

जब कोई समाधान नहीं निकला, तब सबसे बुद्धिमान देवता ने शांत स्वर में कहा:

"हम इन शक्तियों को कहीं बाहर नहीं, इंसान के भीतर, उसके मन की गहराइयों में छिपा देते हैं।
क्योंकि इंसान का मन ही सबसे चंचल है – वह हर जगह खोज करता है, लेकिन अपने भीतर झाँकना भूल जाता है
उसे कल्पना भी नहीं होगी कि उसकी सबसे बड़ी शक्तियाँ उसी के अंतर्मन में छिपी हैं।"

सभी देवताओं को यह विचार अत्यंत उचित लगा। और उसी दिन से, मानव की चमत्कारी शक्तियों को उसके मन के भीतर छुपा दिया गया।

इस कथा से क्या सीख मिलती है?

यह कहानी कोई कल्पना मात्र नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मबोध की शिक्षा है।

इंसान की सबसे बड़ी शक्तियाँ उसके भीतर होती हैं – आत्मबल, संकल्पशक्ति, धैर्य, विश्वास और आत्मज्ञान।

लेकिन अफ़सोस यह है कि अधिकतर लोग इन्हें बाहरी दुनिया में ढूँढते रहते हैं – किताबों में, लोगों में, परिस्थितियों में।

अपने भीतर झाँकिए, वहीं छिपा है सच्चा खजाना

जैसे कोई व्यक्ति अपनी ही हथेलियों से आँखें ढँककर शिकायत करे कि चारों ओर अंधकार है —
वैसे ही हम अपने ही भीतर छिपी संभावनाओं को नज़रअंदाज़ कर दुनिया को दोष देते हैं।

 आँखें खोलिए।
 अपने भीतर झाँकिए।
 और अपनी अपार शक्तियों को पहचानिए, निखारिए और उन्हें उपयोग में लाइए।

आपकी सफलता, आपकी उपलब्धि, और आपके सपने — सबकी चाबी आपके भीतर है, बाहर नहीं।