दण्ड-छत्र-क्रूर योग - नभस योग
                                        
                                
                            दण्ड योग :
दण्ड योग अपने नाम के अनुसार अशुभ योग है. इस योग से युक्त व्यक्ति का जीवन किसी दण्डित व्यक्ति के समान होता है. यह 1800 प्रकार के नभस योगों में से एक है. तथा इस योग से मिलने वाले फल प्रात: कुण्डली में बन रहे अन्य शुभ योगों के प्रभाव से निष्क्रय हो रहे होते है. आईये दण्ड योग को जानते है.
दण्ड योग कैसे बनता है :
जब कुण्डली में सभी ग्रह दशम भाव को मिला कर आगे के चार भावों में हो तो, दण्ड योग बनता है. इस योग से युक्त व्यक्ति को जीवन में बार-बार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड सकता है. उसे जीवन में कम सफलता प्राप्त होने के कारण निराशा का सामना करना पडता है. यह माना जाता है, कि इस योग से युक्त व्यक्ति को जीवन में अपने पिछले जन्मों के अशुभ कर्मों के फल प्राप्त हो रहे होते है.
क्रूर योग- नभस योग :
ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है, कि नभस योग कुल 3600 प्रकार है, इन्हें सिद्धान्तिक नियमों के आधार पर 1800 योगों में वर्गीकृ्त किया गया. तथा 1800 योगों को भी 32 प्रमुख योगों रुप दिया गया है. सामान्यत: नभस योग अपने नाम के अनुसार आकृ्ति बनाते है, तथा इन योगों के फल इनके नाम के अनुसार होते है.
क्रूर योग कैसे बनता है :
जब कुण्डली में सभी ग्रह चतुर्थ भाव से लेकर दशम् भाव में स्थित हों, तो क्रूर योग बनता है. क्रूर योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है, वह व्यक्ति स्वभाव से क्रूर होता है. वह चतुरता से जीवन में आगे निकलने की कोशिश करता है. उसे जीवन में धन की कमी का सामना करना पडता है.
उसे कष्टकारी जगह पर कार्य करना पड सकता है. इसके अतिरिक्त उसका विदेश स्थानों में कार्य करना आर्थिक पक्ष से अनुकुल रहता है. अन्यथा उसे जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पडता है. इस योग के व्यक्ति को सडक, पुल निर्माण, भवन निर्माण आदि क्षेत्रों से जुडे कार्य करने चाहिए.
छत्र योग- नभस योग :
छत्र योग नभस के शुभ योगों की श्रेणी में आता है. इस योग से युक्त व्यक्ति जीवन में उत्तम स्तर के अधिकार और सम्मान के साथ-साथ धन प्राप्त करने में सफल रहता है. ऎसे व्यक्ति को कई सेवकों का सुख प्राप्त होता है. वह अपने परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने के अलावा समाज के उत्थार के कार्यो में भी शामिल रहता है. इसके स्वभाव का एक मुख्य गुण उसमें ईमानदारी का भाव होना है.
छत्र योग कैसे बनता है :
जब कुण्डली में सप्तम भाव से लग्न भाव के मध्य अथवा सप्तम भाव सहित आगे के सात भावों में सारे ग्रह हों, तो छत्र योग बनता है. छत्र योग एक शुभ योग है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग होता है, उसमें सदाचार का पालन करने की प्रवृ्ति होती है. साथ ही वह व्यक्ति धनवान, प्रसिद्ध होता है. वह जीवन में उच्च प्राप्त करने में सफल होता है. इस योग के व्यक्ति को सरकारी क्षेत्रों में कोई पद प्राप्त करता है.
उस व्यक्ति के स्वभाव में मिलनसार का भाव पाया जाता है. छत्र योग से युक्त व्यक्ति कर्तव्य-परायण होता है. तथा अपने लोगोम की सहायता करने में सदैव तत्पर रहता है, और अनेक लोगों की आजीविका वहन का साधन बनता है.
छत्र योग में जब अष्टम, एकादश व द्वादश भाव में पापी ग्रह हो, और शेष भावों में शुभ ग्रहों हों, तो विशेष रुप से कल्याणकारी रहता है. ऎसे में व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहता है. परन्तु जब योग इसके विपरीत बनता है. तो इस योग की शुभता में कुछ कमी होती है.